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मंगलवार, 1 दिसंबर 2020

'I LOVE YOU कहने के लिए 'I' कहना आना चाहिए: आयन रैंड

दिसंबर 01, 2020 0 Comments

 

 'I LOVE YOU कहने के लिए 'I' कहना आना चाहिए: आयन रैंड

                       

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रूसी अमेरिकी लेखिका आयन रैंड का उपन्यास है, ‘फाउंटेन हेड / fountainhead ’ और उसमें एक छात्र है- होवार्ड रोअर्क. इस उपन्यास कि कहानी कि शुरुआत ही यहां से होती है कि उसे यूनिवर्सिटी से निकाला जा रहा है. वो आर्किटेक्चर की पढ़ाई कर रहा है और कुछ ऐसे डिजाइन हैं जो उसके शिक्षक को पसंद नहीं आते, वो बिल्कुल अलग किस्म के डिजाइन बनाता है. कॉलेज का डीन होवार्ड रोअर्क से कहता है, तुमने ये जो डिजाइन बनाये हैं, तो कौन तुम्हें अनुमति देगा ऐसी बिल्डिंग तैयार करने की? डीन कहता है कि तुम जो ये बना कर ले आये हो, ये इतना नया है कि तुम्हें कौन अनुमति देगा ऐसी बिल्डिंग बनाने की? रोअर्क कहता है कि सवाल ये नहीं है कि मुझे कौन बनाने देगा, सवाल ये है कि मुझे कौन रोकेगा.

ऊपर के पैराग्राफ की ये लाइनें रूसी-अमेरिकी उपन्यासकार, दार्शनिक, नाटककार आयन रैंड के कालजयी उपन्यास ‘द फाउंटेनहेड’ से हैं. रैंड ने 1943 में अपना यह मशहूर नॉवेल लिखकर ऑब्जेक्टिविज्म के सिद्धांत को स्थापित किया. 

आयन रैंड का जन्म 2 फरवरी 1905 को रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में हुआ था. छह वर्ष की उम्र में खुद ही पढ़ना सीख लेने के दो साल बाद उन्हें बच्चों की एक फ्रांसीसी मैगजीन में अपना पहला काल्पनिक हीरो मिल गया. हीरो की एक ऐसी छवि जो ताउम्र उनके दिलो-दिमाग पर चस्पां रही. नौ वर्ष की उम्र में उन्होंने कल्पना आधारित लेखन को ही अपना करियर बनाने का फैसला कर लिया. रूसी संस्कृति के रहस्यवाद और समूहवाद की मुखर विरोधी आयन खुद को यूरोपियन लेखकों की तरह मानती थीं, खासतौर पर अपने सबसे पसंदीदा लेखक विक्टर ह्यूगो से सामना होने के बाद.

हाईस्कूल के अंतिम साल में जब उन्होंने अमेरिकी इतिहास पढ़ा, तो उन्होंने आजाद मुल्क की कल्पना के लिए अमेरिका को ही अपना आदर्श स्वीकार लिया. जब उनका परिवार क्रीमिया से लौटा, तो उन्होंने दर्शनशास्त्र और इतिहास की पढ़ाई के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोग्राड में दाखिला ले लिया. 1924 में स्नातक होने के बाद उन्होंने हर बात को जानने की आजादी को खत्म होते देखा और यह भी कि धीरे-धीरे यूनिवर्सिटी पर कम्युनिस्ट ठगों का राज हो गया. निराशा के इन दिनों में उन्हें वियना के ऑपेरा और पश्चिम की फिल्में या नाटकों से ही सुकून मिलता था.

1925 के अंतिम दिनों में उन्होंने रिश्तेदारों से मिलने के लिए सोवियत संघ छोड़कर अमेरिका जाने की अनुमति मांगी. उन्होंने हालांकि सोवियत अधिकारियों को यही बताया कि उनका यह प्रवास छोटा होगा, वास्तविकता यह थी वे रूस वापस न लौटने का पक्का निश्चय कर चुकी थीं. फरवरी, 1926 में वे न्यूयॉर्क पहुंचीं. शिकागो में रिश्तेदारों के साथ छह माह गुजारने के बाद उन्होंने वीजा की अवधि बढ़वा ली और फिर स्क्रीन राइटिंग में करियर बनाने के लिए हॉलीवुड के लिए रवाना हो गईं.

हॉलीवुड में आयन रैंड को दूसरे ही दिन सेसिल बी. डीमिल ने स्टूडियो के दरवाजे पर खड़ा देख लिया. उन्होंने आयन को अपनी फिल्म ‘द किंग ऑफ किंग्स’ तक लिफ्ट दी और फिर उन्हें पहले एक एक्स्ट्रा और फिर एक स्क्रिप्ट रीडर का काम दे दिया. स्टूडियो में अगले एक सप्ताह में आयन की मुलाकात अभिनेता फ्रैंक ओ' कॉनर से हुई जिनसे उन्होंने 1929 में शादी की. उनका वैवाहिक बंधन 50 साल बाद ओ' कॉनर की मौत तक कायम रहा.

आयन ने 1932 में यूनिवर्सल स्टूडियो को अपना पहला स्क्रीनप्ले 'रेड पॉन' बेचा और 16 जनवरी की रात अपने पहले नाटक को स्टेज पर देखा. इसे पहले हॉलीवुड में तैयार किया गया और फिर ब्रॉडवे में. उनका पहला नॉवेल, ‘वी द लिविंग’, तैयार तो 1934 में ही हो गया था, लेकिन कई पब्लिशरों के इनकार के बाद इसे 1936 में अमेरिका में ‘द मैकमिलन’ कंपनी और इंग्लैंड में ‘केसेल्स एंड कंपनी’ ने प्रकाशित किया. उनकी जिंदगी पर सबसे ज्यादा प्रकाश डालने वाला यह उपन्यास निरंकुश सोवियत शासन के तहत गुजारे गए उनके दिनों पर आधारित था.

1937 में समूहवाद विरोधी लघु उपन्यास 'एंथम' लिखने के लिए छोटा सा ब्रेक लेने के बाद उन्होंने 1935 में ‘द फाउंटनहेड’ लिखना शुरू किया. वास्तुविद हॉवर्ड रोआर्क के कैरेक्टर में उन्होंने अपने लेखन में उस तरह के हीरो को प्रस्तुत किया जिसका बखान ही उनके लेखन का मूल लक्ष्य था. एक आदर्श व्यक्ति, ऐसा व्यक्ति जैसा 'वह हो सकता है और होना चाहिए.' 12 पब्लिशरों के इनकार के बाद आखिरकार बॉब्समेरिल कंपनी ने ‘द फाउंटेनहेड’ के प्रकाशन का जिम्मा स्वीकारा. 1943 में प्रकाशित होने के बाद मौखिक प्रचार ने ही दो साल के भीतर इसे बेस्ट सेलर बना दिया. साथ ही यह आयन को व्यक्तिवाद के हिमायती के तौर पर पहचान दिला दी.आयन रैंड ने 1943 में हॉलीवुड में वापसी के बाद ‘द फाउंटेनहेड’ का स्क्रीनप्ले लिखा. युद्ध के कारण लगे प्रतिबंधों के चलते यह 1948 में ही तैयार किया जा सका. हाल वालिस प्रोडक्शंस के लिए पार्ट-टाइम स्क्रीन राइटर के तौर पर काम करते हुए उन्होंने 1946 में अपने मुख्य उपन्यास 'एटलस श्रग्ड' का लेखन आरंभ किया. 1951 में न्यूयॉर्क लौटकर उन्होंने अपना पूरा वक्त ही इस उपन्यास को पूरा करने में दे डाला.

1957 में प्रकाशित 'एटलस श्रग्ड' उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि रही और यह उनका अंतिम काल्पनिक उपन्यास भी रहा. इस उपन्यास में उन्होंने अपने सबसे अलग फलसफे (फिलॉसफी) को एक ऐसी दिमागी रहस्यमयी कहानी में बदल डाला जिसमें नीतिशास्त्र (एथिक्स), तत्व-मीमांसा (मेटाफिजिक्स), ज्ञान मीमांसा (एपिस्टेमॉलॉजी), राजनीति, अर्थशास्त्र और सेक्स सब-कुछ था. खुद को मूलतः काल्पनिक लेखन करने वाली मानने के बाद भी उन्हें इस बात का अहसास हुआ कि आदर्श काल्पनिक पात्रों की रचना के लिए उन्हें ऐसे दार्शनिक सिद्धांत पहचानने होंगे, जिनसे ऐसे लोग संभव हो सकें.

इसके बाद, आयन रैंड ने अपने दर्शन, ध्येयवाद (ऑब्जेक्टिविज्म), पर लेखन और लेक्चर का काम किया, जो 'ए फिलॉसॉफी फॉर लिविंग ऑन अर्थ' में देखा जा सकता है. 1962 से 1976 के दौरान उन्होंने अपनी ही पत्रिकाओं (पीरियॉडिकल्स) का संपादन और प्रकाशन किया. उनकी ध्येयवाद पर छह किताबों की सामग्री यहीं से जुटाई गई और संस्कृति में इस्तेमाल के लिए भी इसका प्रयोग किया गया. आयन रैंड का 6 मार्च 1982 को न्यूयॉर्क शहर में उनके अपार्टमेंट में निधन हो गया.

अपनी जिंदगी के दौरान आयन रैंड ने जो किताबें प्रकाशित कीं वे आज भी प्रकाशित की जाती हैं. हर साल इनकी हजारों प्रतियां बिकती हैं. अब तक उनकी किताबों की कुल 2.5 करोड़ प्रतियां बिक चुकी हैं. उनकी मौत के बाद उनके लेखन के कुछ और खंड भी प्रकाशित किए गए हैं. इंसान को लेकर उनके दृष्टिकोण और इस धरती पर जीवित रहने के उनके फलसफे ने हजारों पाठकों की जिंदगी ही बदल डाली. साथ ही उसने अमेरिकी संस्कृति में एक नए दार्शनिक आंदोलन को भी जन्म दे दिया.

पेश हैं आयन रैंड के सुविचार कथन
1. दर्द या खतरा या दुश्मन के बारे में एक पल से ज्यादा मत सोचो, जब तक उनसे लड़ना जरुरी ना हो.

2. 'अपने आपको मूर्ख मत बनाओ, प्रिये. तुम एक चुड़ैल से भी ज्यादा डरावने हो. तुम एक संत हो. जो दर्शाता है कि क्यों संत खतरनाक और अनचाहा होता है.'

3. एक व्यक्ति जो खुद को नहीं पहचान पाता, किसी दूसरी चीज या व्यक्ति को नहीं पहचान सकता.

4. 'मैं तुम्हारे लिए मर सकती हूं लेकिन मैं तुम्हारे लिए नहीं मरूंगी और ना मैं तुम्हारे लिए जीऊंगी.'


5. स्वतंत्रताः कुछ भी ना कहने/पूछने के लिए. किसी चीज की उम्मीद ना करना, ना किसी पर निर्भर रहना.

6. ' I Love You ' कहने के लिए यह जानना जरुरी है कि 'I' कैसे कहा जाए.'

7. धरती पर सबसे छोटा अल्पसंख्यक एक व्यक्ति है और एक व्यक्ति के अधिकारों को खारिज करने वाला कभी अल्पसंख्यकों का रक्षक नहीं हो सकता.


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सवाल यह है कि मुझे रोक कौन रहा है | - Ayn Rand (आयन रैंड)

दिसंबर 01, 2020 0 Comments

 सवाल यह नही है कि कौन मुझे करने देगा , सवाल यह है कि मुझे रोक कौन रहा है |

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↬ आयन रैंड / Ayn Rand 
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           ➤ जन्म - 2 फरवरी 1905
             ➤ निधन - 6 मार्च 1982

➤➤आयन रैंड / Ayn Rand रशियन-अमेरिकन नॉव्लिस्ट , फिलॉसफर , स्क्रीनराइटर थी | "एटलस श्रग्ड" और ' द फाऊंटेनहेड ' उनके दो सबसे ज्यादा चर्चित बेस्ट-सेलिंग नॉवेल है | यंगस्टर्स इन्हें सबसे ज्यादा खोजते और पढ़ते है |

1. जो भविष्य के लिए लड़ाई लड़ रहा है वो आज भी भविष्य में ही जी रहा है |

2. सभी को अपने निर्णय लेने का पूरा अधिकार है लेकिन किसी को भी अपने निर्णय दुसरे पर थोपने का अधिकार नहीं है |

3. बुराई और अच्छाई में अगर कोई समझौता होता है तो ऐसे में फायदा हमेशा बुराई का ही होगा |

4. आदमी कि सोचने कि क्षमता का ही उत्पाद है धन |

5. महान लोगो पर कभी शासन नहीं किया जा सकता है |

6. भ्रष्ट किस्म के लोगो के जीवन का कोई निर्धारित लक्ष्य / lakshy नहीं होता है |

7. अन्य किसी बात कि कोई अहमियत नहीं है सिवाय इसके की आप अपना काम कितनी अच्छी तरह पूरा करते है |

8. तर्कसंगत व्यक्ति अपनी सोच और समझ के साथ आगे बढ़ता है | भावनाओं और अरमानो के जरिए नहीं |

9. सच्चाई से तो बचा जा सकता है लेकिन सच्चाई से दूर भागने के नतीजो से कभी नहीं बचा जा सकता |

10. समाज के गुणों को नापने का यंत्र है पैसा |

11. अगर कोई कुछ करने लायक है तो वो बहुत ज्यादा करने लायक भी है |

12. अपर-क्लास देश का भूतकाल है जबकि मिडिल-क्लास भविष्य है |

13. रचनात्मक व्यक्ति कुछ कर दिखाने कि चाह से प्रेरित होते है न कि दुसरे को गिराने कि चाह से |

14. हर मुद्दे के दो पहलु होते है | एक सही व् दूसरा गलत | बिच में हमेशा बुराई ही होती है |

15. कुछ पाने के लिए विचार कि जरूरत होती है | आपको ये पता होना चाहिए कि आप कर क्या रहे है , यही सच्ची शक्ति है |

16. फिलॉसफी / philosophy का ही पुरतन रूप है धर्म |

17. खुद कि कद्र करना सीखिए | मतलब ये भी है कि अपनी ख़ुशी के लिए लड़ाई कीजिए |

18. तो आपको लगता है कि हर बुराई कि जड़ पैसा है | कभी ये जाना है कि इस पैसो कि जड़ कहाँ है |

19. दुनिया में सबसे छोटे अल्पसंख्यक व्यक्ति है | जो लोग इंसान के हको के खिलाफ काम करते है वो अल्पसंख्यको के पक्षधर होने का दावा नहीं कर सकते |

20. सवाल यह नही है कि कौन मुझे करने देगा , सवाल यह है कि मुझे रोक कौन रहा है |

21.रचनात्मक व्यक्ति कि प्रेरणा कुछ हासिल करना होता है | उसकी प्रेरणा यह नहीं हो सकती कि उसे दुसरो को हराना है |

22. मै कभी किसी और के लिए नहीं जीना चाहती और न ही यह चाहती हु कि कोई मेरे लिए जिए |

23. विरोधाभास का कोई अस्तित्व नही होता | जब भी आप सोचते है आपका इससे सामना होता है | लेकिन इसे जांचेगे तो पाएंगे कि एक पक्ष झूठा है |

24. पैसा सिर्फ एक जरिया है जो आपको हर उस जगह पर ले जा सकते है जहां आप जाना चाहते है , लेकिन ड्राईवर/ driver के रूप में यह आपको बदल नही सकता है |

25. ख़ुशी चेतना / chetna का वह बिंदु है जो उपलब्धियों से निकलता है |

26. सफलता कि सीडी अवसरों के पायदान से बनती है |

27. सदियों से एक आदमी ही पहला कदम उठता है | नए रास्ते बनाता है  | हालांकि उसके पास कोई हथियार नहीं होता , लेकिन उसके पास अपना नजरिया होता है |

28. लोग सीधे देखने में डरते है , इसलिए अपने सवाल खड़े करते है | जबकि उन्हें सीधे देखना चाहिए , रास्ता देखना चाहिए और सिर्फ रास्ता देखना ही नहीं देखना चाहिए , उस पर चलना भी चाहिए |

29. सच सभी के लिए नहीं होता , सिर्फ उनके लिए होता है , जिन्हें इसकी जरूरत हो |

30. लोगो को लगता है कि सारी बुराइयों कि जड़ पैसा है , लेकिन क्या कभी यह सोचा है कि सारे पैसे का जरिया क्या है |

31. इंसान दुनिया कि अपनी छवि गढ़ लेता है | उसके पास चुनने कि आजादी और ताकत है | लेकिन ऐसी कोई ताकत नहीं है जो चुनने कि अनिवार्यता से बच सके |

32. उपलब्धि हासिल करने के लिए आपको सोचना होता है | आपको जानना होगा कि आप कर क्या रहे है और यही असली ताकत है |


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मृत्यु के बाद आप वही बन जाएंगे - Arthur Schopenhauer (आर्थर शोपेनहावर)

दिसंबर 01, 2020 0 Comments

मृत्यु के बाद आप वही बन जाएंगे , जैसे आप जन्म लेने से पहले थे |   

                           Great thinkers 

     

↬ आर्थर शोपेनहावर  ↫  
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➤ जन्म - 22 फरवरी 1788

➤ निधन - 21 सितंबर 1860 

➤➤आर्थर जर्मनी के प्रसिद्ध दार्शनिक थे | वे " नास्तिक निराशावाद " के दर्शन के लिए प्रसिद्ध है | उन्होंने 25 वर्ष कि आयु में शोधपत्र प्रस्तुत किया जिसमे लिखा था कि केवल तर्क संसार के गूढ़ रहस्यों से पर्दा उठा सकता है |

1. जिस व्यक्ति में टैलेंट / talent होता है , वह उस लक्ष्य को हासिल करने में सफल / success होता है , जहां कोई नहीं पहुच पाता है | जीनियस / genius व्यक्ति उस लक्ष्य तक पहुचंता है , जो किसी को दिखाई नहीं देता है |

2. सत्य तीन स्टेज से गुजरता है | पहला - उनकी निंदा होती है | दूसरा - लोग उसके विरुद्ध बोलते है | लड़ते है | तीसरा - इसे स्वीकार कर लिया जाता है |

3. महान लोग , एक बिज कि तरह होते है | वे अपना घोसला किसी ऐसी जगह पर बनाते है , जहां बिल्कुल शांति होती है |

4. महान लोगो की किस्मत में अकेले रहना होता है |

5. मृत्यु के बाद आप वही बन जाएंगे , जैसे आप जन्म लेने से पहले थे |

6. मनुष्य कि खुशियों के दो ही दुश्मन हो सकते है | पहला - बोरियत और दूसरा - दर्द |

7. दौलत - शोहरत किसी गहरे समुद्र की तरह है | हम जितना पानी पीते है , उतनी प्यास बढती रहती है | ऐसा ही बील्कुल प्रसिद्धि के साथ होता है |

8. हर आर्ट वर्क / art work को प्रिंस की तरह ट्रीट करे , जो सबसे पहले आपसे बात करे | यह जरुरी है |

9. बदलाव ही एक मात्र ऐसी चीज है जो अनंत , जीवंत , अमर और निरंतर है |

10. एक्शन / action  लेते वक्त दिल यानी जज्बातों को मुख्य क्लवालीफिकेशन कहा जाता है | ठीक उसी तरह जैसे काम में दिमाग को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है |

11. हर दिन , जिन्दगी कि तरह है | जब सुबह उठते है तो लगता है जैसे जन्म हुआ है | हर सुबह , युवा की तरह लगती है और रात का वक्त मौत की तरह दिखता है |

12. मनुष्य जिन चीजो को चाहता है उनके लिए प्रयत्न कर सकता है , लेकिन जिन चीजो को चाहता है उनकी चाहत नहीं कर सकता है |

13. प्राकृतिक तौर पर ही एक पुरुष दुसरे पुरुष से अलग होता है , लेकिन महिलाए तो हमेशा से ही एक-दूजे की दुश्मन होती है |

14. एक बात हमेशा याद रखे कि जब आप पहाड़ कि चोटी पर पहुच जाएंगे तो स्पीड / speed  खुद आएगी | 

15. किताब खरीदना तभी अच्छी बात साबित होगी , जब हमारे पास उन किताबो को पढने के लिए पर्याप्त समय हो |

16. इंसान तभी तक आजाद रहता है जब तक अकेला है , आत्मनिर्भर / Atmanirbhar होता है | अगर उसे एकांत पसंद नहीं है तो इसका मतलब है उसे आजादी पसंद नहीं है |

17. प्रतिभाशली व्यक्ति उस लक्ष्य को पा लेता है जो कोई और हासिल नहीं कर पता | जबकि विलक्षण आदमी वह लक्ष्य / lakshy हासिल कर लेता है , जिसके बारे में कोई और सोच भी नहीं सकता है |

18. सीमित क्षमताओ वाले व्यक्ति के लिए विनम्रता ही ईमानदारी है | लेकिन जो लोग महान प्रतिभाशाली होते है उनके लिए यह सिर्फ पाखंड है |

19. शहीद होना ही एक तरीका है जिसके जरिए इंसान बिना किसी प्रतिभा के भी प्रसिद्ध हो सकता है |

20. क्रिया में सबसे बड़ा गुण है साफ दिल और काम में सबसे बड़ा गुण होता है शानदार दिमाग |

21. डॉक्टर इंसान की कमजोरियां देखता है | वकील उसकी दुष्टता देखता है और धर्मशास्त्री उसकी सारी मूर्खताए देखता है |

22. संपत्ति समुद्र के पानी कि तरह होती है , जितना हम इसे पिते है उतनी प्यास बढती जाती है , यही बात प्रतिष्ठा पर भी लागु होती है |

23. इंसान हर वो काम कर सकता है  जो वो चाहता है , लेकिन वो क्या चाहता है यह नहीं जनता |

24. दर्द से मुक्ति पाना हो दूर रहना हो तो ख़ुशी का भी बलिदान देना होता है |

25. अगर हमारी खुद में ही बहुत दिलचस्पी नहीं होगी तो जीवन नीरस हो जाएगा और हममे से कोई भी इसे सहन नहीं कर पाएगा |

26. आदमी के शब्द ही दुनिया कि सबसे टिकाऊ चीज हो जाएगी |

27. दोस्त और अच्छी जान-पहचान अच्छी तक़दीर के पासपोर्ट की तरह है |

28. अधिकतर व्यक्ति अपने विचारो की सीमा को ही दुनिया की सीमा भी समझता है |

29. इस बात में कोई शक नहीं है कि जीवन हमे आनंदित रहने के लिए नहीं मुसीबतों से उबरने के लिए मिला है |

30. इच्छाशक्ति ऐसी हो जैसे एक द्रष्टिहीन व्यक्ति अपने कंधो पर किसी अच्छी द्रष्टि वाले व्यक्ति को बिठाकर ले जा सकता है |

31. हर देश दुसरे देशो पर हंसता है और सभी सही होते है |

32. हमारे सारे डर इस बात पर निर्भर करते है कि दुसरो से हमारे संबंध कैसे है |

33. इंसान के दिमाग कि महानतम उपलब्धियों को आमतौर पर संदेह के साथ ही स्वीकार किया जाता है |

34. समझदार व्यक्ति हमेशा एक ही बात कहते है और मुर्ख जो बहुसंख्यक है हमेशा उल्टा काम करते है |


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