kabhi saath baitho to kahu ki dard- hindi shayari
कभी साथ बैठो तो कहू की दर्द क्या है
अब यु दूर से पूछोगे तो खेरियत ही कहेंगे
मकानों के भाव यु ही नहीं बड गए दोस्तों
रिश्तो में पडी दरारों का फायदा बिल्डर उठा गए
सुख मेरा कांच सा था न जाने कितनो को चुभ गया
आईना आज फिर रिश्वत लेते पकडा गया
दिल में दर्द था और चेहरा हंसता हुआ पकड़ा गया
किसी ने मुझ से पूछा की पूरी जिन्दगी में क्या किया
मैंने हंसकर जवाब दिया किसी के साथ छल कपट नहीं किया
अब यु दूर से पूछोगे तो खेरियत ही कहेंगे
मकानों के भाव यु ही नहीं बड गए दोस्तों
रिश्तो में पडी दरारों का फायदा बिल्डर उठा गए
सुख मेरा कांच सा था न जाने कितनो को चुभ गया
आईना आज फिर रिश्वत लेते पकडा गया
दिल में दर्द था और चेहरा हंसता हुआ पकड़ा गया
किसी ने मुझ से पूछा की पूरी जिन्दगी में क्या किया
मैंने हंसकर जवाब दिया किसी के साथ छल कपट नहीं किया
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