एक झलक जिन्दगी को देखा- हिंदी shayari
एक झलक जिन्दगी को देखा वो रहो पे मेरी गुनगुना रही थी
फिर ढूंढा उसे इधर - उधर वो आँख मिचोली कर मुस्कुरा रही थी
एक अरसे के बाद आया मुझे करार वो सहला के मुझे सुला रही थी
हम दोनों क्यू खफा है एक - दुसरे से मै उसे और वो मुझे समझा रही थी
मैंने पूछ लिया क्यों इतना दर्द दिया कमबख्त तूने
वो हंसी और बोली
मै जिन्दगी हु नादान तुझे जीना सिखा रही थी
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