कोशिशो का सफर - poetry
कल मुदद तो बाद कोशिशो के पाँव
हिम्मते लेकर मंजिल से मिलने चले .....
मुश्किलों ने रोक के परेशानियों से मिलवाया और
हिम्मते कुछ पस्त होने लगी ....
अगले मोड़ पर रूकावटो भरी थकान ने पकड के बिठा दिया ....
हौसले की हवा ने कोशिशो को सहारा दिया
और चल पड़ी वो भी इस सफर में .....
धीरे - धीरे तेज होती थापों की ताल
सुनके फिर जोश भी साथ हो लिया ...
कदम अब दौड़ रहे थे और
मंजिल करीब लग रही थी ....
शाम ने आराम के लिए उकसाया और
पेड़ो की घनी छाओ से मिलवाया .....
दर्द जाग गया और उठने से मना करके
सोने की गुजारिश करने लगा ....
अँधरे के डरावने काले बादलो ने भी
पलट जाने का हुकुम दिया ...
सब्र की चांदनी ने बेताब चाहतो को भरोशा दिया और
उम्मीदों का वादा किया ....
रौशनी की किरणों ने सोयी कोशिशो को झिझोड़ा .....
अब वो पाँव फिर हिम्मतो जोश और
हौसलों के साथ मंजिल की ओर बड रहे है .....
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